अक्टूबर 2022 के बाद अब तक 6 करोड़ श्रद्धालु आए उज्जैन, ‘महाकाल की कृपा’ से लगातार हो रहा आर्थिक विकास

उज्जैन। महाकाल बाबा की नगरी उज्जैन जिसे मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है, वहाँ महाकाल लोक बनने के बाद हर दिन करीब 80 हजार श्रद्धालु देश के कोने-कोने और दुनिया के कई राष्ट्रों से पहुंच रहे हैं। श्रावण मास में संख्या बढ़कर करीब डेड लाख तक जा पहुंची है।

महाकाल की कृष्ण ने उज्जैन की आर्थिक तस्वीर को मात्र 11 महीने की अलग अवधि में ही बदल दिया है। शहर की अर्थव्यवस्था 3000 करोड़ रुपए के पार हो गई। 11 अक्टूबर 2022 के बाद शहर में 6 करोड़ श्रद्धालु आए। प्रति पर्यटक औसतन 500 रूपए की दर से उनका खर्च हुआ, इसका आकलन किया जाए तो 3000 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।

इसका असर पर्यटन से जुड़े होटल, हॉस्पिटेलिटी, टूरिज्म, ट्रांसपोर्ट, रियल एस्टेट से जुड़ी इंडस्ट्री समेत अन्य पर पड़ा है। उनके व्यापार में 2- 3 गुना बढ़ोतरी हुई। शहर के युवाओं के सामने रोजगार के नए-नए अवसर भी बड़े हैं।

आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो हम पाते हैं कि सावन के महीने में ही 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे हैं। महाकाल लोक में बनाई गई 18 लाख रुपए की दर वाली दुकानों की कीमत 1.90 करोड़ रुपए तक मिली। इससे शहर के विकास को पंख लगे हैं।

उज्जैन-इंदौर-ओंकारेश्वर टूरिस्ट सर्किट का विकास जारी

महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन से ओंकारेश्वर जाने वालों की संख्या बढ़ी है। इस तरह से उज्जैन इंदौर- ओंकारेश्वर टूरिस्ट सर्किट के रूप में विकसित हुआ है। उज्जैन में हॉल्ट करने का कल्चर भी बढ़ा है। इस अवसर पर लोग स्थानीय स्तर पर मिलने वाले हस्तशिल्प और सामग्री खरीदकर स्मृति के रूप में साथ ले जाते हैं। ये भी एक तरह से अर्थव्यवस्था की मजबूती हैं।

महाकाल लोक का दूसरा चरण पूरा हुआ तो सिंहस्थ- 2028 की भी तैयारियां

उज्जैन में यात्रियों की संख्या 4-5 गुना बढ़ी तो इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट मार्केट में बढ़ौतरी हुई है। उज्जैन विकास प्राधिकरण यानी यूडीए की संपत्ति 3-4 गुना दामों पर की है। अगले साल महाकाल लोक फेज-2 पूरा हो जाएगा। सिंहस्थ 2028 की तैयारियों से शहर की अर्थव्यवस्था 5000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।

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ऐसे बदल रही तस्वीर

श्रदालु पूर्व के वर्षों में हर रोज 25 हजार श्रद्धालु आया करते थे। वो यानी शनिवार-रविवार को यह बड़कर 50 हजार हुआ करती थी। ऐसे में एक सल में 150 करोड़ श्रदालु आते थे। अब रोज 1.5 जा रहे हैं। एक साल में 5-6 करोड़ आ रहे हैं।

दान राशि: पहले महाकाल मंदिर में हर दिन 7- 8 लाख रुपए तक दान राशि मिलती थी। अब हर दिन 50 लाख रुपए से अधिक आती है। अप्रैल-मई में 27 करोड़ रुपए का दान मिला।

लड्डू प्रसादी: पहले मंदिर क्षेत्र में 30 क्विंटल प्रसादी की खपत थी। अब इसकी मात्रा 60 क्विंटल पहुंच गई है। देश-दुनिया से आने वाले अपने साथ यहां का स्वादिष्ट प्रसाद अवश्य ले जाते है।

त्रिवेणी संग्रहालय: यहां पहले कभी हर दिन 50 श्रद्धालु और पर्यटक आया करते थे। इसकी तुलना में अब संख्या बढ़कर 2 हजार पहुंच गई है।

300% यात्री बढ़े: उज्जैन में 20 बड़े 350 छोटे होटलों में बुकिंग 300% बढ़ी है। पहले 50 कमरे भरते थे। 250 रेस्टोरेंट का कारोबार भी 300% बढ़ गया है। इसके अलावा चाय-स्वल्पाहार की छोटी- छोटी दुकानों का कारोबार भी अब खूब फल-फूल रहा है।

वाहन: पहले इंदौर उज्जैन मार्ग पर 3,03,782 वाहन प्रतिमाह आया करते थे। अब यह संख्या बढ़कर 5,55,064 प्रति माह हो गई है।