8th Pay Commission: भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से होने वाले संभावित खर्च को शामिल नहीं किया है। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण यह है कि आयोग की रिपोर्ट को तैयार होने और स्वीकृत होने में एक साल या उससे अधिक का समय लग सकता है। इस बात की पुष्टि भारत सरकार के व्यय सचिव मनोज गोविल ने की है।
गोविल ने स्पष्ट किया कि वेतन आयोग को कार्य करने की अनुमति तभी मिलेगी जब उसकी संदर्भ शर्तों को स्वीकृति मिल जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वेतन आयोगों को अपनी रिपोर्ट सौंपने में एक साल से अधिक का समय लग चुका है। इसलिए 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने में भी समय लग सकता है।
मार्च 2026 तक आ सकती है रिपोर्ट
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकार मार्च 2025 में 8वें वेतन आयोग का गठन कर भी देती है तो इसकी रिपोर्ट मार्च 2026 तक आने की संभावना है। हालांकि कुछ परिस्थितियों में यह रिपोर्ट इससे पहले भी प्रस्तुत की जा सकती है। यही कारण है कि वित्त वर्ष 2026 के बजट में 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का कोई असर नहीं देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है। वर्तमान में 7वें वेतन आयोग के अनुसार सरकारी कर्मचारियों का वेतन तय किया जाता है, जिसका कार्यकाल साल 2026 में समाप्त होगा।
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8वें वेतन आयोग से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ
8वें वेतन आयोग के अमल में आने से सरकारी खर्चों में वृद्धि होगी। हालांकि इसके सटीक प्रभाव को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। व्यय सचिव मनोज गोविल के अनुसार, आयोग को उस समय की आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशें देनी होंगी।
सरकारी कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए हर 10 साल में एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है। 7वें वेतन आयोग के कार्यान्वयन से जुड़े खर्चों के कुछ आंकड़े मौजूद हैं, लेकिन हर आयोग की सिफारिशें अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। इसलिए 8वें वेतन आयोग की लागत को लेकर स्पष्ट अनुमान लगाने के लिए आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा।
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कुछ सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं
गोविल ने बताया कि भले ही 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें वित्त वर्ष 2027 में लागू की जाएं, लेकिन कुछ प्रमुख सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकती हैं। हालांकि अगर ऐसा होता है तो भी इसका पूरा खर्च 2026-27 के बजट में जोड़ा जाएगा।
सरकार को यह तय करना होगा कि आयोग की कौन-कौन सी सिफारिशों को तुरंत लागू किया जाए और किन्हें चरणबद्ध तरीके से अमल में लाया जाए। इससे सरकारी कर्मचारियों के वेतन में सुधार तो होगा, लेकिन सरकारी खजाने पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह आयोग की अंतिम रिपोर्ट और सरकार के फैसले पर निर्भर करेगा।