झारखंड के 11 गांव के लोगों का अजीब कदम, लगाया नो एंट्री का बोर्ड, जाएंगे तो पीटकर आएंगे, जानें पूरा मामला

bakri chori gumla gaon
bakri chori gumla gaon । image Source: Google

गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड स्थित बरडीह पंचायत के 11 गांवों के लोग इन दिनों बकरी चोरों के आतंक से परेशान हैं। बीते एक महीने में करीब 40 से 45 बकरियां और खस्सी चोरी हो चुकी हैं। लगातार हो रही इन घटनाओं से ग्रामीणों में रोष है और पुलिस की निष्क्रियता ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है।

ग्रामीणों की रणनीति

चोरों को पकड़ने और गांव में सुरक्षा बढ़ाने के लिए रविवार को उरू गांव में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई, जिसमें कड़ा फैसला लिया गया। बैठक में यह तय किया गया कि शाम छह बजे के बाद किसी अनजान व्यक्ति को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इसके लिए पंचायत के बॉर्डर इलाकों सिविल और सोकराहातु गांवों में ‘नो एंट्री’ के बोर्ड लगाए जाएंगे।

पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

ग्रामीणों ने पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसलिए अब ग्रामीण खुद ही बॉर्डर इलाकों में पहरा देंगे और टीम बनाकर रातभर जागकर निगरानी करेंगे। अगर कोई चोर पकड़ा जाता है तो उसकी पहले सेंदरा (पारंपरिक सजा) के तहत पिटाई की जाएगी और फिर उसे पुलिस को सौंपा जाएगा।

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नक्सलवाद कम हुआ, लेकिन चोरी बढ़ी

बरडीह पंचायत के रोघाडीह, घुसरी, बरडीह, तबेला, कुकरूंजा, कोल्दा, सोकराहातु, कोचागानी, केरागानी और कुईयो गांव के लोग इन दिनों चोरी की बढ़ती घटनाओं से परेशान हैं। इन गांवों के साले कोरवा, बंधा कोरवा, रामदेव कोरवा, पुनई उरांव और घसिया कोरवा सहित कई ग्रामीणों की बकरियां और खस्सी चोरी हो चुकी हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि जब गांव में नक्सलवाद चरम पर था तब चोरी की घटनाएं कम थीं, क्योंकि नक्सली गतिविधियों के चलते बाहरी लोग गांव में आने से कतराते थे। लेकिन अब जब नक्सलवाद पर काफी हद तक अंकुश लग चुका है तो चोरों ने अपना जाल फैला लिया है। इन गांवों की कुल आबादी करीब सात हजार है और हर घर में बकरी पालन किया जाता है, जिससे ग्रामीणों की आजीविका जुड़ी हुई है।

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नक्सलवाद के खात्मे के बाद चोरों का आतंक

गौरतलब है कि बरडीह पंचायत एक समय नक्सल प्रभावित इलाका था, लेकिन जब 15 लाख के इनामी नक्सली बुद्धेश्वर उरांव मारा गया और सबजोनल कमांडर रंथू उरांव को गिरफ्तार किया गया तो इस क्षेत्र में नक्सलवाद पर कड़ा प्रहार हुआ। इसके बाद कुरूमगढ़ गांव में थाना स्थापित किया गया और तीन पुलिस पिकेट बनाए गए। लेकिन अब इस क्षेत्र के लोग नक्सलवाद से नहीं, बल्कि बकरी चोरों से ज्यादा भयभीत हैं।

चोरों को पकड़कर खुद करेंगे कार्रवाई

तबेला गांव के राज कुमार का कहना है कि वे बकरी पालन कर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन हाल ही में हुई चोरी की घटनाओं ने उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। अब उन्होंने ठान लिया है कि चोरों को पकड़कर पहले खुद सबक सिखाएंगे और फिर पुलिस के हवाले करेंगे।

बरडीह गांव के मधु उरांव का कहना है कि उनके घर में भी एक बार चोर घुसा था, लेकिन वह भाग निकला। पुलिस को सूचना देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब ग्रामीण खुद सख्त कदम उठाने को मजबूर हैं।

अनजान लोगों की होगी नो एंट्री

केवना गांव के रिंकू कोरवा ने बताया कि अब गांव के लोग रातभर पहरा दे रहे हैं। चोर ग्रामीण पहनावे में आकर पहले रेकी करते हैं और फिर दो-तीन दिन के भीतर बकरी चुराकर फरार हो जाते हैं। इसलिए अब हर अनजान व्यक्ति पर विशेष नजर रखी जा रही है।

बरडीह गांव के बालमोहन मुंडा का कहना है कि पहले वे नक्सलियों से डरे रहते थे, लेकिन अब बकरी चोरों ने उनका जीना मुश्किल कर दिया है। उनका मानना है कि यदि पुलिस ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो ग्रामीण खुद कार्रवाई करने पर मजबूर हो जाएंगे।

बरडीह पंचायत के मुखिया ईश्वर खेस ने कहा कि 11 गांवों में बकरी चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं, इसलिए अब सभी गांवों के प्रवेश द्वार पर ‘नो एंट्री’ बोर्ड लगाया जाएगा और किसी भी अनजान व्यक्ति को गांव में घुसने की इजाजत नहीं दी जाएगी।