Bhakoot Dosh Kya Hota Hai: नमस्कार दोस्तों, अगर आप भी भकूट दोष की वजह से समस्या का सामना कर रहे हैं तो आज हम इस आर्टिकल में आपको डिटेल्स में बताएंगे कि भकूट दोष क्या होता हैं? भकूट दोष का उपाय और भकूट दोष निवारण पूजा विधि के बारें में बताएंगे।
हिंदू धर्म में विवाह से पूर्व वर और वधू की कुंडली की जांच कराई जाती हैं। विवाह से पहले यह सुनिश्चित किया जाता हैं कि वर और वधू की कुंडली में कोई दोष तो नहीं है यदि वर या वधू की कुंडली में किसी प्रकार का दोष पाया जाता हैं तो उसका उचित निवारण किया जाता हैं।
ऐसी मान्यता है कि यदि वर या वधू के कुंडली में किसी प्रकार का दोष हो और उसका उचित प्रकार से निवारण न किया जाए तो विवाह के पश्चात वर और वधू को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार विवाह से पूर्व वर और वधू की कुंडली की जांच करवाना आवश्यक है।
भकूट दोष क्या होता हैं?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार विवाह से पूर्व वर और वधू की कुंडली की जांच कराना आवश्यक है। विवाह से पूर्व वर और वधू की कुंडली की जांच करके इस बात की जांच की जाती हैं की वर और वधू की कुंडली में किसी प्रकार का कोई दोष तो नहीं है।
विवाह से पूर्व वर और वधू की कुंडली मिलान करके उनके भविष्य, वैवाहिक जीवन, आर्थिक जीवन आदि कई विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। इसके साथ साथ कुंडली में किसी प्रकार के दोष जैसे भकूट दोष (Bhakoot Dosh), नाडी दोष आदि उपस्थित हैं या नहीं इसकी भी जांच की जाती हैं।
यदि वर और वधू की कुंडली की जांच करते समय वर और वधू की कुंडली में किसी प्रकार के दोष के बारे में पता चलता है तो उस दोष का उचित प्रकार से निवारण किया जाना आवश्यक हैं।
यदि वर या वधू के कुंडली में किसी प्रकार का दोष हो और उसका उचित प्रकार से निवारण न किया जाए तो विवाह के पश्चात वर और वधू को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए विवाह से पूर्व वर और वधू की कुंडली की जांच करवाना आवश्यक है।
यदि वर और वधू की कुंडली मिलाने पर चंद्रमा 6-8 या 9-5 या 12-2 के भाव में स्थित होने पर भकूट दोष (Bhakoot Dosh) लगता हैं। वर और वधू की कुंडली में भकूट दोष होने पर विवाह के पश्चात वर और वधू को शारीरिक कष्ट, आर्थिक कष्ट, संतान प्राप्ति में देरी समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।
भकूट दोष (Bhakoot Dosh) तीन प्रकार के होते हैं। यदि वर और वधू की राशि मेष और कन्या हैं तो 6-8 का भकूट दोष लगता हैं। इस दोष को मृत्युंजय षडष्टक दोष भी कहा जाता हैं। इस दोष के कारण विवाह के पश्चात वर और वधू को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता हैं। इस दोष के कारण वर और वधू के अलग होने की भी संभावना होती हैं।
यदि वर और वधू की राशि कन्या और वृषभ हैं तो 9-5 का भकूट दोष लगता हैं। इस दोष के कारण संतान संबंधी परेशानियां होती हैं। यदि वर और वधू की राशि मिथून और वृषभ हैं तो 12-2 का भकूट दोष लगता हैं। इस दोष के कारण विवाह के पश्चात आर्थिक समस्या होती हैं और स्वास्थ्य संबंधित समस्या भी होती हैं।
भकूट दोष का उपाय और भकूट दोष निवारण पूजा विधि
कुछ उपायों को करके भकूट दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता हैं। भकूट दोष (Bhakoot Dosh) के प्रभाव को कम करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा वधू को गुरुवार के दिन उपवास रखना चाहिए।
भकूट दोष के निवारण के लिए गाय का दान करना चाहिए। प्रति-दिन पानी में हल्दी मिलाकर केले के पेड़ में डालने पर भकूट दोष (Bhakoot Dosh) का प्रभाव कम होता हैं। इसके साथ साथ प्रति-दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
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FAQ
भकूट दोष से क्या होता है?
भकूट दोष से शादी के बाद पति-पत्नी के बीच संबंधों में खटास, आर्थिक परेशानी, संतान प्राप्ति में देरी, वित्तीय समस्याएं या शारीरिक कष्ट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि भकूट दोष हमेशा बुरा प्रभाव डाले। कुछ मामलों में, भकूट दोष का कोई प्रभाव नहीं होता है।
भकूट दोष कब नहीं लगता?
जब वर और वधू की राशियों के चंद्रमा एक ही भाव में स्थित हों।
जब वर और वधू की कुंडलियों में चंद्रमा की दृष्टि एक दूसरे पर हो।
जब वर और वधू की कुंडलियों में चंद्रमा की युति हो।
भकूट दोष कितने प्रकार के होते हैं?
भकूट दोष मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं-
6-8 भकूट दोष: जब वर और वधू की राशियों के चंद्रमा छठे या आठवें भाव में स्थित हों।
9-5 भकूट दोष: जब वर और वधू की राशियों के चंद्रमा नौवें या पांचवें भाव में स्थित हों।
12-2 भकूट दोष: जब वर और वधू की राशियों के चंद्रमा बारहवें या दूसरे भाव में स्थित हों।
भकूट मिलान कितना जरूरी है?
भकूट मिलान एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन यह शादी के लिए निर्णायक नहीं है। भकूट दोष के बावजूद, पति-पत्नी एक खुशहाल और सफल शादीशुदा जीवन जी सकते हैं।