Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से सियासी माहौल गर्मा गया है। पुलिस ने सरकारी काम में बाधा डालने और आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में गोविंदपुरी थाने में मामला दर्ज किया है। यह मामला उस समय सामने आया जब चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद भी देर रात तक प्रचार किया गया, जिससे कई इलाकों में हंगामा हुआ।
क्यों दर्ज हुई FIR?
चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समय सीमा के बाद भी आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ता देर रात तक प्रचार करते नजर आए। इस दौरान सबसे अधिक विवाद मुख्यमंत्री आतिशी की सीट कालकाजी में हुआ। शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने सीएम आतिशी और उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
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पुलिस का क्या कहना है?
दिल्ली पुलिस के डीसीपी के अनुसार 4 फरवरी की रात आतिशी फतेह सिंह मार्ग पर अपने समर्थकों और गाड़ियों के काफिले के साथ मौजूद थीं। पुलिस का दावा है कि उनके साथ लगभग 50 से 70 लोग और 10 गाड़ियां थीं। यह चुनाव आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है। इस संबंध में फ्लाइंग स्क्वाड टीम की शिकायत पर गोविंदपुरी थाने में केस दर्ज किया गया। मामला भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 223 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) की धारा 126 के तहत दर्ज हुआ है।
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क्या है BNS की धारा 223 और RP Act 126?
BNS की धारा 223 सार्वजनिक शांति भंग करने और सरकारी कार्यों में बाधा डालने से संबंधित है। वहीं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 के तहत मतदान से पहले चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इस नियम के तहत निर्धारित समयसीमा के बाद प्रचार करना अपराध माना जाता है।
दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 5 फरवरी को होगा और इसके नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों के लिए इस बार आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। बहुमत के लिए किसी भी दल को कम से कम 36 सीटों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में आम आदमी पार्टी सत्ता में है और भाजपा तथा कांग्रेस इस चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
राजनीतिक हलचल तेज
चुनाव से एक दिन पहले मुख्यमंत्री आतिशी पर दर्ज हुई एफआईआर ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। विपक्षी दल इस मुद्दे को भुनाने में जुट गए हैं। वहीं आम आदमी पार्टी इसे साजिश करार दे रही है। अब देखना यह होगा कि इस मामले का चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।