28 जनवरी को जारी हुई एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) 2024 ने ग्रामीण मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 2018 से 2024 के बीच स्कूलों के बुनियादी ढांचे में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं छात्रों के नामांकन में भी चिंताजनक कमी देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पीने के पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच में उतार-चढ़ाव आया है, जिससे छात्र कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
बुनियादी सुविधाओं की स्थिति
2018 में जहां लगभग 71 प्रतिशत स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा थी। वहीं 2022 में यह घटकर 69.3 प्रतिशत रह गई। हालांकि 2024 में यह आंकड़ा 70.7 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन अब भी यह 2018 के स्तर से कम है। इसी तरह शौचालयों की स्थिति भी चिंताजनक रही। 2018 में नियमित शौचालयों की उपलब्धता 68.3 प्रतिशत थी, जो 2022 में घटकर 67.2 प्रतिशत हो गई और 2024 में मामूली सुधार के साथ 68.8 प्रतिशत तक पहुंची।
लड़कियों के लिए बढ़ती परेशानी
स्कूलों में लड़कियों के शौचालयों की उपलब्धता में भी गिरावट देखी गई। 2018 में 56.5 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय थे, जो 2022 में घटकर 55.1 प्रतिशत रह गए। 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 58.9 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन यह अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। लड़कियों की शिक्षा में यह कमी समाज और नीति-निर्माताओं के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।
प्राथमिक स्कूलों में नामांकन का हाल
प्राथमिक स्कूलों (ग्रेड 1-5) में लड़कों का नामांकन 2018 और 2022 के बीच लगभग 65 प्रतिशत पर स्थिर रहा, लेकिन 2024 में यह घटकर 60.2 प्रतिशत रह गया। लड़कियों का नामांकन भी इसी प्रवृत्ति को दर्शाता है। 2018 में यह 71 प्रतिशत था, जो 2022 में घटकर 69.3 प्रतिशत हो गया और 2024 में मामूली सुधार के साथ 70.7 प्रतिशत तक पहुंचा।
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मिडिल स्कूल में तेजी से गिरता नामांकन
मिडिल स्कूल (ग्रेड 6-8) में छात्रों का नामांकन तेजी से घटा है। 2018 में लड़कों का नामांकन 72.1 प्रतिशत था, जो 2024 में गिरकर 67.3 प्रतिशत रह गया। वहीं लड़कियों का नामांकन 2018 में 82.1 प्रतिशत था, जो 2024 में गिरकर 75.6 प्रतिशत रह गया। यह गिरावट विशेष रूप से लड़कियों के लिए चिंताजनक है और इसके पीछे के कारणों की गहन जांच की आवश्यकता है।
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शिक्षकों की राय
एक वरिष्ठ शिक्षक के अनुसार, यह संभव है कि परिवार उच्च कक्षाओं में शिक्षा के बढ़ते खर्च को वहन करने में असमर्थ हों या फिर सामाजिक दबाव के कारण लड़कियों को स्कूल से निकाल दिया जाता हो। इसके अलावा स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और घटते नामांकन के बीच संभावित संबंध भी हो सकता है। क्या पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की अनुपलब्धता छात्रों, विशेष रूप से लड़कियों के स्कूल छोड़ने की वजह बन रही है? ये ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर तलाशना जरूरी है।
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बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक सुधार
रिपोर्ट इस बात को उजागर करती है कि स्कूलों के बुनियादी ढांचे में लगातार निवेश की जरूरत है। इसके अलावा घटते नामांकन के पीछे के कारणों की गहरी जांच की जानी चाहिए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके और छात्रों को स्कूलों से बाहर होने से रोका जा सके।
एएसईआर की भूमिका और सर्वेक्षण की प्रक्रिया
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (एएसईआर) एक नागरिक-नेतृत्व वाला घरेलू सर्वेक्षण है जो ग्रामीण भारत में शिक्षा की स्थिति का विश्लेषण करता है। पहली बार 2005 में शुरू किया गया यह सर्वेक्षण 2014 तक हर साल आयोजित किया गया, जिसके बाद 2016 से इसे एक वैकल्पिक-वर्ष चक्र में कर दिया गया। इस रिपोर्ट के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में सुधार की संभावनाओं को समझने में मदद मिलती है।