खंडवा में बेटी की अनोखी विदाई, घोड़ी पर बैठकर विदा हुई लड़की, पिता का सपना हुआ पूरा

khandwa daughter on horse marriage
khandwa daughter marriage । Image Source: Google

खंडवा जिले के एक छोटे से गांव में एक अनोखा मामला देखने को मिला। यहां एक पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी पर चढ़ाकर उसकी शादी के मौके पर विदा किया। यह दृश्य न केवल अनूठा था, बल्कि समाज में बेटियों के प्रति समानता का संदेश भी दे गया।

पिता ने बेटी को बेटा समझकर पाला

खंडवा जिले से 8 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में रहने वाले नानाजी चौधरी ने अपनी बेटी भाग्यश्री को बेटे की तरह पाला। उनकी हमेशा यह ख्वाहिश थी कि उनकी बेटी को भी वही सम्मान मिले, जो समाज आमतौर पर बेटों को देता है। शादी के मौके पर उन्होंने इस ख्वाहिश को पूरा किया। भाग्यश्री को घोड़ी पर बैठाकर शादी स्थल तक ले जाया गया, जहां परिवार और ग्रामीणों ने इस पल को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया। यह परंपरा तोड़ने वाली घटना आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बन गई।

दुल्हन ने घोड़ी पर बैठकर पूरा किया सपना

दुल्हन भाग्यश्री ने कहा कि उनके पिता का सपना था कि वह अपनी बेटी को घोड़ी पर चढ़ते हुए देखें। भाग्यश्री ने बताया कि यह पल उनके लिए बेहद खास था। वह करीब एक घंटे तक घोड़ी पर बैठी और इस अनुभव को जीवन भर के लिए यादगार बना लिया।

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वहीं भाग्यश्री के भाई रविंद्र चौधरी ने कहा कि उनके परिवार ने हमेशा बेटा और बेटी को समान माना है। समाज में प्रचलित परंपराओं को तोड़ते हुए उन्होंने इस कदम को उठाया। उनका मानना है कि हर बेटी को अपने परिवार से इस तरह का सम्मान मिलना चाहिए। परिवार ने यह साबित कर दिया कि बदलते समय के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी सोच बदल रही है।

इस अनोखी विदाई को देखने के लिए आसपास के कई गांवों के लोग जमा हुए। ग्रामीणों ने भी इस पहल की सराहना की। रविंद्र चौधरी ने कहा कि यह सिर्फ उनके परिवार का सपना नहीं था, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने यह संदेश दिया कि बेटा और बेटी दोनों एक समान हैं।

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समाज को बदलने की जरूरत

रविंद्र चौधरी एक निजी बैंक में क्रेडिट मैनेजर के तौर पर काम करते हैं। उनका कहना है कि इस घटना से यह पता चलता है कि समाज की सोच में बदलाव संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों का समर्थन मिलने से यह पहल और भी खास हो गई। उनकी मां छमा चौधरी इसी गांव की बेटी हैं और इसी गांव की बहु हैं।  दुल्हन भाग्यश्री ने घोड़ी पर बैठकर विदा ली। इस नजारे ने हर किसी को चौंका दिया। यह घटना समाज के लिए एक मजबूत संदेश है कि बेटियां भी किसी से कम नहीं होतीं।

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