World Heritage Day: विश्व धरोहर में शामिल हैं भोपाल की ये खास जगहें, खूबसूरती देखने आते हैं लाखों लोग

World Heritage Day

World Heritage Day: 18 अप्रैल यानी आज का दिन पूरी दुनिया में विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी को देखते हुए आज हम यहां भोपाल की कुछ खास जगहों के बारे में बात करने जा रहे हैं। यहां पर कुछ ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व वाली जगह हैं, जो अलग ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

इन खास ऐतिहासिक जगहों को देखकर आप चकित रह जाएंगे। यहां पर भारी संख्या में लोग घूमने आते हैं। इनमें सारू मारू की गुफाएं, सलकनपुर धाम, भीम बैठका और सीहोर चिंतामन गणेश मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, मोती मस्जिद, ताल उल मस्जिद, शौक महल, सदर मंजिल, गोहर महल आदि शामिल हैं, जो अपनी भव्यता के लिए फेमस हैं।

वहीं भारत भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, ऊपरी झील, निचली झील, बिड़ला मंदिर, वन विहार, भारत भवन, मनुभनु की टेकरी, गुफा मंदिर, मछली घर, केरवा बांध जैसी और भी जगह हैं, जो अपने आपमें  फेमस हैं।

सारू-मारू की गुफाएं

सारू-मारू एक प्राचीन स्थल है। बौद्ध गुफाओं के इस पुरातात्विक स्थल को गौतम बुद्ध के शिष्य महामोद्गलायन और सारीपुत्र के समय का कहा जाता है। सीहोर जिले के बुधनी तहसील के ग्राम पान गुराड़िया के पास स्थित यह स्थल सांची से करीब 120 किमी दूर पड़ता है। यहां पर कई स्तूप हैं और भिक्षुओं के रहने के लिए प्राकृतिक गुफाएं भी हैं। गुफाओं में बौद्ध के कई सारे प्रतीक देखने को मिलते हैं, जैसे कि चित्र, स्वस्तिकाएं, त्रिरत्न कलश आदि। यहां अशोक के बारे में भी वर्णन मिलता है।

सलकनपुर मंदिर

सलकनपुर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और भोपाल से करीब 70 किमी दूर स्थित है। यहां पर 1000 फ़ीट ऊंचे पर्वत पर माता विजयासन देवी का मंदिर है। पुराणों में कहा गया है कि देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं।

मान्यताओं के अनुसार, देवताओं की विनती पर देवी विजयासन ने रक्तबीज नाम के राक्षस का वध किया था और दुनिया की रक्षा की थी। रक्तबीज  का वध करने के बाद माता को जो आसान दिया गया था उसे ही विजयासन धाम नाम से जाना जाने लगा और माता के इस रूप को विजयासन देवी कहा गया।

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चिंतामन गणेश मंदिर

चिंतामन गणेश मंदिर सीहोर जिले मुख्यालय में स्थित है, जो भोपाल से 40 किमी दूर है। इसे पूरे देश में गणपति के फेमस मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना महाराजा विक्रमादित्य ने 2000 साल पहले की थी।

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मान्यता है कि, खुद गणेश जी ने महाराजा विक्रमादित्य को यह मूर्ति दी थी। यह भी कहा जाता है कि गणेश जी ने विक्रमादित्य के पूजन से प्रसन्न होकर उनको दर्शन दिए थे और मूर्ति रूप में खुद ही स्थापित हो ये गए थे। इस चिंतामन गणेश मंदिर को भारत में स्थित चार स्वयंभू मूर्तियों में से एक माना जाता है।