मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान लैपटॉप-स्कूटी योजना को लेकर विवादों में है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में उन्होंने योजना की स्थिति पर असमंजसपूर्ण जवाब दिया। कांग्रेस ने इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि उन्हें योजना की सही जानकारी नहीं थी। सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी अधिकारी ने उन्हें गलत जानकारी दी या फिर सीएम खुद योजना पर पर्याप्त रूप से अवगत नहीं थे।
एक पॉडकास्ट से विवाद शुरू हुआ
यह मामला तब गर्माया जब मुख्यमंत्री यादव ने एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों का स्पष्ट उत्तर देने से बचते हुए कहा कि राज्य में 170 योजनाएं चल रही हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रतिभाशाली बच्चों को लैपटॉप और स्कूटी दी जा रही है और जिन्हें मिलना है, उन्हें यह मिल रही है। हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि 12वीं पास बच्चों को यह सुविधा कब तक मिलेगी, उन्होंने कहा कि यह योजना उनके कार्यकाल की नहीं थी और इसे एक साल के लिए लागू किया गया था। इस बयान ने छात्रों और उनके परिवारों में असंतोष पैदा कर दिया है, क्योंकि यह योजना कई सालों से चल रही है और बंद नहीं हुई है।
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विवाद के पीछे क्या है वजह
मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि लैपटॉप-स्कूटी योजना केवल एक साल के लिए नहीं बल्कि लंबे समय से लागू है। इस योजना का उद्देश्य मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करना और उनकी उच्च शिक्षा में मदद करना है। कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री को योजना के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए थी। इसके साथ ही यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को सही जानकारी नहीं दी।
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शिवराज सिंह चौहान ने किया था विस्तार करने का वादा
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में इस योजना का विस्तार करने का वादा किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि 60% अंक लाने वाले छात्रों को 25 हजार रुपये दिए जाएंगे। पहले 85% से अधिक अंक लाने वाले छात्रों को 25 हजार रुपये और टॉपर्स को स्कूटी दी जाती थी। बाद में इस योजना को 75% अंक लाने वाले छात्रों तक भी विस्तारित किया गया।
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मौजूदा स्थिति और छात्रों की नाराजगी
हालांकि वर्तमान सरकार ने इस योजना को बंद नहीं किया है, लेकिन पिछले साल 12वीं पास करने वाले छात्रों को अभी तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है। वे लगातार इंतजार कर रहे हैं कि उनके खातों में 25 हजार रुपये की राशि कब जमा होगी। मुख्यमंत्री का बयान इस मुद्दे को और अधिक जटिल बना रहा है, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार इस योजना को लेकर स्पष्ट नहीं है।