पुरी के गुंडिचा मंदिर बना हादसे का मैदान! 50 से ज्यादा घायल, 3 की मौत

पुरी (ओडिशा)। भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में इस बार श्रद्धा का सैलाब एक दर्दनाक हादसे में बदल गया। रविवार सुबह पुरी के गुंडिचा मंदिर के सामने हुई भगदड़ में 3 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे के वक्त हजारों की संख्या में लोग भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को देखने के लिए जुटे थे।

हादसा कैसे हुआ?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुबह लगभग 4 बजे जब श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर परिसर के बाहर उमड़ी हुई थी, तभी अचानक धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भीड़ में मौजूद कुछ ट्रकों और रस्मों के दौरान चलने वाले बड़े वाहनों ने निकासी मार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे वहां जबरदस्त भगदड़ मच गई।

जान गंवाने वालों की पहचान

दुर्घटना में मरने वालों के नाम है

  1. बसंती साहू (बोलागढ़ निवासी)
  2. प्रेमकांत महांति (बालीपटना निवासी)
  3. प्रवती दास (इलाके की स्थानीय श्रद्धालु)

तीनों श्रद्धालु रथ यात्रा के दर्शन के लिए सुबह-सवेरे पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भारी भीड़ और व्यवस्था की चूक का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।

घायलों का इलाज जारी

इस भगदड़ में घायल हुए 50 से ज्यादा लोगों को पुरी जिला अस्पताल और अन्य चिकित्सा केंद्रों में भर्ती कराया गया है। इनमें से 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से कहा गया है कि सभी घायलों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है और मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।

प्रशासन पर उठे सवाल

हादसे के तुरंत बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और मौके पर मौजूद पुलिस, दमकल और स्वास्थ्य विभाग की टीमों को राहत व बचाव कार्य में लगाया गया। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और स्थानीय संगठनों ने प्रशासन की तैयारी और भीड़ प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

नवीन पटनायक ने इसे “पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम” बताया और इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की।

श्रद्धा या अव्यवस्था?

पुरी रथ यात्रा को लेकर हर वर्ष कड़े सुरक्षा इंतजामों की बात की जाती है, लेकिन इस बार की घटना ने साबित कर दिया कि कागजों पर बनी योजनाएं जमीन पर फेल रहीं।

गुंडिचा मंदिर के बाहर निकासी मार्गों पर ना तो बैरिकेडिंग थी, और ना ही भीड़ नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल।

गर्मी, भीड़ और धार्मिक उत्साह ने मिलकर एक ऐसा माहौल बना दिया जहां सिर्फ कुछ सेकंड की चूक जानलेवा साबित हो गई।

प्रशासन का जवाब

पुरी जिला कलेक्टर सिद्धार्थ स्वैन ने मीडिया को बताया कि
“हमने तत्काल राहत कार्य शुरू किया। भगदड़ के कारणों की जांच की जा रही है। घायलों को बेहतर इलाज दिया जा रहा है और सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए जा रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए भीड़ नियंत्रण के डिजिटल उपायों और सीसीटीवी निगरानी को बढ़ाया जाएगा।

क्या यह हादसा रोका जा सकता था?

जब हर वर्ष लाखों लोग पुरी रथ यात्रा में शामिल होते हैं, तो क्या प्रशासन को पहले से भीड़ नियंत्रण की बेहतर रणनीति नहीं बनानी चाहिए थी?
क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था महज रस्म अदायगी बनकर रह गई है?