बिना शादी किए लंबे समय तक Live-in-Relationship में रहने के बाद अलगाव होने पर भी महिला साथी गुजारा भत्ता पाने की हकदार होगी। मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपने अहम निर्णय में यह बता कही। हाईकोर्ट का मानना है कि अगर कोई महिला और पुरुष लंबे समय तक साथ रह रहे हैं तो महिला को गुजारा भत्ता सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मिलना चाहिए। हाईकोर्ट के यह आदेश बालाघाट के शैलेष बापचे की याचिका पर दिया।
जान लीजिए पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला बालाघाट के शैलेष वापचे से जुडा है। वह काफी समय तक अपनी महिला मित्र के साथ Live-in-Relationship में रहे। इस दौरान दोनों संसर्ग से एक संतान की उत्पति भी हुई। बाद में दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हुआ तो दोनों अलग हो गए। उसके बाद महिला ने गुजारा भत्ता की मांग की तो शैलेष बापचे ने देने से मना कर दिया। वहीं शैलेष बापचे के खिलाफ महिला ने जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर गुजारा भत्ता दिलाए जाने की मांग की।
महिला की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जिला अदालत ने शैलेष बापचे को महिला को 1500 रुपए प्रतिमाह देेने का निर्णय सुनाया। निर्णय को शैलेष ने मानने से इंकार करते हुए उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामला जस्टिस जीएस आहूलूवालिया की अदालत में पहुंचा। एकलपीठ के तौर पर पूरे मामले को जस्टिस आहलूवालिया ने दोनों पक्षों को सुना। इस दौरान शैलेष के वकील ने महिला को पत्नी मानने से इंकार कर दिया।
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वकील का कहना था कि महिला के साथ उसके क्लाइंट ने शादी नहीं की इसलिए महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता पाने की अधिकारी नहीं है। जबकि महिला के अधिवक्ता यह साबित करने में सफल रहे कि महिला और शैलेष दोनों काफी लंबे समय तक पति पत्नी के रुप में साथ में रहे हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस जीएस आहलूवालिया ने अपना फैसला देते हुए जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए 1500 रुपए महीना गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया और याचिका को निरस्त कर दिया।
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